राजा की बीरू से बातचीत


तब राजा ने बालक के पास आकर - "हे ब्राह्मण देवता ! आप क्रोध को शांत करके 
मेरे साथ महलों में चलकर भोजन ग्रहण करे और मुझे मेरे किए के  क्षमा करें । "

बालक बीरू बोला -"तुझे मुझ पर लाड़ क्यों आ रहा है ? कुछ क्षण पहले तू मेरे 
रक्त का प्यासा हो रहा था - अब मुझे अपना अन्न खिलाकर मेरे श्राप को भृष्ट 
करना चाहता है । ऐसा कभी  नहीं होगा । आप राजा हो । राजा अपनी प्रजा 
को अपनी संतान के तुल्य मानता है न कि अपने धन के बल पर उनकी बलियां


 दिलवाने का प्रबंध करता है । इसलिए राजा तुम्हारा अपराध अक्षम्य है । "